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मेवाड़ के वीर __१४९ यहाँ पाने पर राज्य की बड़ी सेवा की है, जिसका वर्णन टॉड साहव ने अपने इतिहास में किया है। मेहता नाथजी:
नाथजी का इनके वंश में होना सेवगों की बहियों से मालूम होता है। उदयपुर के प्रसिद्ध खान्दान मेहता रामसिंहजी के वंशज मेहता जलसिंह के पाखी वंशज बतलाये जाते हैं। जो बहुत अर्से से राज्य के प्रतिष्ठित ओहदों पर चले आ रहे हैं । जिनको कि १९७५ में गाँव आदि जागीर में मिले जिनका वर्णन ओझाजी ने किया है।
नाथजी के वंश में सं० १९७३ के पहले से जागीरी चली आ रही थी, जिसका पता उनके पुत्र मेहता लक्ष्मीचंद के खाचरोल के घाटे में लड़ाई में काम आने पर मेहता देवीचंदजी के नाम श्री दरवार के एक रुके से चलता है, जिसमें गांव आदि बहाल रखने का हुक्म दिया है।
नाथजी मेहता जो पहले उदयपुर के पास देवाली नामक गाँव में रहते थे, घरेलु कारण से कोटे चले गये । वहां उन्होंने राज्य का काम किया, जिसकी खिदमत में कुछ खेत कुएं आदि मिले बतलाये जाते हैं । सं० १९०७ के आस पास कोटे से मांडलगढ़ चले आये। ये वीर और साहसी थे । जमाना लड़ाइयों का था ही, अतः.मांडलगढ़ के किले पर उन्हें फौज की अफसरी दी गई और इसकी एवज में नवलपरा गाँव जागीर में मिला।
इन्होंने किले की कोट पर एक बुर्ज वनवाई, जो अब भी