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मेवाड़ के वीर संघवी श्रीतेजाजी (भार्या नायकदे)
संघवी गज़जी (भार्या गौरीदे) संघवी राजाजी (भार्या रयणदे)
सं० श्रीउदाजी सं० डंदाजी सं० देदाजी सं० दयालदासजी भार्या मालवदे भा०१ दाडिमदे भा०१सिंहरदे भा० १ सूर्यदे
२ जगरूपदे ॥ २ कर्मारदे , २ पाटमदे मं सुदरदासजी सं०वपूजी सं०सुरताणजी,सं० सांवलदासज मा०१सोभागदे भा०१पारमदे भासुणारमदे मा० मृगादे
, २अमृतदे ,२ बहुरंगदे श्री श्रोमाजी लिखते हैं :___"दयालदास के पूर्व पुरुष सीसोदिये क्षत्रिय थे, परन्तु जब से उन्होंने जैन-धर्म स्वीकार किया, तब से उनकी गणना ओसवालों में हुई । इस के अतिरिक्त उसके पूर्व परुषों के सम्बन्ध में कोई वृन्तान्त नहीं मिलता।
दयालदास पहिले उदयपुर के एक ब्राह्मण पुरोहित के यहाँ नौकर था, उसकी उन्नति के बारे में यह प्रसिद्ध है कि महाराणा