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मेवाड़ के वीर भामाशाह की पुत्री का घराना
अथवा . कर्मचन्द वच्छावत का वर्तमान वंश
मेहता अगरचन्द बच्छावतों के उत्थान और पतन का शोकोत्पादक साथ
ही गौरवास्पद वर्णन पाठकों को प्रस्तुत पुस्तक के जागल (बीकानेर-राज्य) नामक खण्ड में मिलेगा, जब कर्मचन्द बच्छावत के पुत्र वीरता पूर्वक लड़ाई में मारे गये, तब कर्मचन्द की स्त्री अपने पुत्र माण सहित उदयपुर में थी जिससे उसका वही पत्र बचने पाया। आगे मान्य श्रोमाजी लिखते हैं:
"भाणा का मुत्र जीवराज, उसका लालचन्द और उस (लालचन्द).का प्रपौत्र:पृथ्वीराज हुआ । उसके दो पुत्र .अगरचन्द और हँसराज हुए, जो राज्य के बड़े पदों पर रहे। महाराणा परिसिंह ने अगरचन्द को माँडलगढ़ का. किलेदार तथा उक्त जिले का
+ उदयपुर के महतामों की तवारीख में भाग को भोजराज का बेटा लिखा है। सम्भव है कि भोजराज या तो कर्मचन्द का तीसरा पुत्र हो या भागचन्द
और लक्ष्मीचन्द में से किसी एक का पुत्र हो । यदि यह अनुमान ठीक हो तो, भमाशाह की पुत्री का विवाह. भागचन्दः या लक्ष्मीचन्द किसी एक के साथ होना मानना पड़ेगा।