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१२४ राजपूताने के जैन चीर . हाकिम नियंत किया । तब से मॉडलगढ़ की किलेदारी उसके . वंशजों में बराबर चली आ रही है । वह उक्त महाराण का सलाहकार था और फिर मंत्री बनाया गया। महाराणा अरिसिंह (दूसरे) की उज्जैन की माधवराव सिंधया के साथ की लड़ाई में वह (अगरचन्द) लड़ा और घायल होने के बाद कैद हुआ परन्तु रूपाहेली के ठाकुर शिवसिह के वावरी लोग उसको हिकमत से निकाल लाये । जव माधवराव सिंधया ने उदयपुर पर घेरा डाला और लड़ाई शुरू हुई, उस समय महाराणा ने उसको अपने साथ रक्खा । टोपलमगरी और गंगार के पास की महापुरुषों के साथ की लड़ाईयों में भी वह महाराणा की सेना के साथ रह कर लड़ा। . . . . . . . .
- महाराणा हमीरसिंह (दूसरे) के समय की मेवाड़ की विकटं स्थिति सम्भालने में वह वड़वा अमरचन्द का सहायक रहा । जब' शक्तावतों और चूंडावतों के झगड़ों के बाद आवाजी इंगलिया की आज्ञानुसार उसके नायव गणेशपन्त ने शक्तावतों का पक्ष करना छोड़ दिया और प्रधान सतीदास तथा सोमचन्द गान्धी का पुत्र जयचन्द कैद कर लिए गये, उस समय महाराणा भीमसिंहने फिर अगरचन्द मेहता को अपना प्रधान बनाया । जब सिन्धियां के सैनिक लकवा दादा और आंबाजी इंगलिया प्रतिनिधि गणेशपन्त के बीच मेवाड़ में लड़ाइयाँ हुई और उस गणेशपन्त ने भागकर शरण ली, तो लकवा उसका पीछा करता हुआ वहाँ भी जा पहुँचा । लकवा की सहायता के लिए महाराणा ने कई सर