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मेवाड़ - गौरव
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में शायद ही कोई दूसरा राजवंश होगा । प्रसिद्ध ऐतिहासिकफ़रिश्ता ने इस वंश की प्राचीनता के विषय में लिखा है :"राजा विक्रमादित्य ( उज्जैन वाले) के धांद राजपूतों ने उन्नति की । मुसलमानों के भारतवर्ष में आगमन से पूर्व यहाँ पर बहुत से स्वतंत्र राजा थे, परन्तु सुलताने राहमूद गज़नवी तथा उसके वंशजों ने बहुतों को अपने आधीन किया । तदनन्तर शहाबुद्दीन गौरी ने अजमेर और दिल्ली के राजाओं को जीता । बाक़ी रहे सहे को तैमूर के वंशजों ने अपने आधीन किया । यहाँ तक कि विक्रमादित्य के समय से जहाँगीर तक कोई पुराना राजवंश न रहा ; परन्तु राणा ही ऐसे राजा हैं, जो मुसलमान धर्म की उत्पत्ति से पहले भी विद्यमान थे और आज तक राज्य करते हैं ।' केवल प्राचीनता में ही नहीं; अन्य बहुत सी बातों के कारण मेवाड़ (उदयपुर) का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है। मेवाड़ का इतिहास अधिकांश में स्वतंत्रता का इतिहास है। जब तत्कालीन सभी हिन्दू . राजा मुग़ल साम्राज्य की शासन सत्ता के सामने अपनी स्वतंत्रता स्थिर न रख सके और उन्होंने अपने सिर झुका लिये, तब भी नाना प्रकार के कष्ट और अनेक आपत्तियाँ सहते हुये भी मेवाड़ ने. ही सांसारिक सुख-सम्पत्ति और ऐश्वर्य का त्याग करके भी अपनी स्वतंत्रता और कुल - गौरव की रक्षा की। यही कारण है क़ि आज भी मेवाड़ (उदयपुर) के महाराणा ! हिन्दुच्चा सूरज' कहलाते हैं ।" +.
1. उदयपुरः राज्य का इतिहास भू० पृ० २ ।