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मेवाड़ के वीर
अक्षयराज जीवाशाह के स्वर्गासीन होने पर उसका पुत्र अक्षयराज महा
' राणा कर्णसिंह का मंत्री नियत हुआ और राणा कर्णसिंह के परलोकगत होने पर राणा जगतसिंह का प्रधान भी यही रहा। "राणा प्रताप के समय से ही डूंगरपुर बादशाही अधीनता में चला गया था, जिससे वहाँ के रावल उदयपुरकी अधीनता नहीं मानते थे । इसलिये महाराणा ने अपने मंत्री, अक्षयराज को सेना देकर रावल पर (जो उस समय डूगरपुर का स्वामी था) भेजा । उसके वहाँ पहुँचने पर रावल पहाड़ों में चला गया। ओझाजी लिखते हैं कि:
इस प्रकार चार पीढ़ियों तक स्वामिभक्त भामाशाह के घराने में प्रधान पद रहा । ... इस घराने के सभी पुरुष राज्य के शुभचिन्तक रहे । ... भामाशाह का नाम मेवाड़ में वैसा ही प्रसिद्ध है, जैसा कि गुजरात में वस्तुपाल तेजपाल का।" * .
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सन् २६ अक्टूबर सन् ३२ . WATER
रा० पू० इ० ख० ती० पृ० ७८७ । +रा० पू० का ३० ती० ख० पृ० ८३३ । "* रा० पू० इ० ख० ती० पृ० ७८७ ।