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मेवाड के वीर
. . . . राणी जयतलदेवीः . .
मेवाड़ का राज्यवंश शैव है इस शिशोदयावंश में शिव की
' उपासना होती रही है किन्तु कुछ उल्लेख ऐसे भी मिले हैं जिन से प्रकट होता है कि इस राज्यवंश में जैनधर्म के प्रति भी
आदर रहा है । यहाँ तक कि कुछ राणा और राणियाँ तो जैनधर्म के उपासक प्रकट रूप में भी रहे हैं। एक बार रा० रा. वासुदेव गोविन्द आपटे बी.ए. ने अपने व्याख्यान. में कहा था-"कर्नल टॉड साहब के राजस्थानीय इतिहास में उदयपर के घराने के विषय में ऐसा लिखा गया है कि कोई भी जैनयति उक्त संस्थान में जव शुभागमन करता है, तो रानी साहिवा उसे योग्य सत्कार प्रबन्ध करती हैं, इस विनय प्रबन्ध की प्रथा वहाँ . अब तक जारी है।" उक्त विद्वान का कथन सर्वथा सत्य है।
+जैनधर्म का महत्व प्र० मा० पृ०३१ ।