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मेवाड़ - गौरव
कुछ बात है जो हस्ती मिटती नहीं हमारी । सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहाँ हमारा ॥
- "इकबाल "
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विदेशीय- गुलाम, खिलजी, तुरालक, सैयद, पठान, और
मुग़ल-वंश के बादशाहों ने अपने अपने समय में भारत
पर आक्रमण करके साम्राज्य स्थापित किये। वह आन्धी की तरह समस्त भारत में फैल गये, अच्छे अच्छे सत्ताधीश उखाड़ कर फेंक दिये गये किन्तु मेवाड़ चट्टान के समान अचल बना रहा, उसने अनेक आपत्ति के प्रलयकारी भोंके सहन किये, तथापि वह अपनी मान-मर्यादा से तनिक भी विचलित नहीं हुआ । समस्त भारत में आतङ्क फैलाने वाले बादशाहों के साम्राज्य तो क्या, भाज उनके वंशजों के पास गज़ भर जमीन भी नहीं है, पर मेवाड़ अपनी • उसी मर्यादा पर आज भी विद्यमान है, जो आज से १३०० वर्ष