________________ (59) उसे च्यवन कल्याणक कहा जाता है। इस समय श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार उनकी माता चौदह और दिगम्बर परम्परा के अनुसार वह सोलह स्वप्न देखकर जागृत होती है। एवं इन्द्रादि देवगणों के साथ तथा नरेन्द्र (पिता) आदि उनके गर्भावतरण का महोत्सव मनाते हैं।' 2. जन्म कल्याणक. ___ जैन मान्यतानुसार जब अर्हत् परमेष्ठी का जन्म होता है, तब देवलोक से इन्दादि देवगणों से परिवृत्त होकर जन्म महोत्सव करते हैं। सूतिकर्म आदि दिककुमारिकाएँ करती हैं। उसके पश्चात् उनको मेरू पर्वत पर ले जाकर वहाँ उनका जन्माभिषेक किया जाता है। इस जन्म कल्याणक का सविस्तार वर्णन आचारङ्ग सूत्र में एवं जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में दिया गया है। इसी प्रकार राजप्रश्नीय सूत्र में तो यहाँ तक उल्लेखित है कि सभी प्रकार के देवों की यह आचार परम्परा है कि उनके महोत्सवादि में वे अर्हत/तीर्थङ्कर की पर्युपासना करें। देव-देवेन्द्रादिक के अतिरिक्त इस लोक में जहाँ-जहाँ अर्हत् परमेष्ठी का जब-जब जन्म होता है, तब सुरनरादि उनके परिगण भी जन्मोत्सव खूब उल्लास से करते हैं। 3.दीक्षाकल्याणक___ अर्हत् परमेष्ठी के दीक्षाकाल के एक वर्ष पूर्व ही लोकान्तिक देव उपस्थित होते हैं, और प्रव्रज्या हेतु उनसे प्रार्थना करते हैं। यह भी लोकान्तिक देवों की आचार परम्परा है। अर्हत् परमेष्ठी एक वर्ष तक दान देते हैं, जिसे वर्षीदान कहा जाता है। वे इस वर्षीदान में करोड़ो स्वर्ण मुद्राओं का दान करते हैं। जिस दिन वे दीक्षा ग्रहण करते हैं, तब देव-देवेन्द्रादि आकर उनका अभिनिष्क्रमण महोत्सव करते हैं। वे विशेष पालकी में आरूढ होकर वनखण्ड की ओर जाते हैं, जहाँ अपने वस्त्राभूषण त्याग कर पंचमुष्ठि लोच कर दीक्षित होते हैं। यह नियम है कि तीर्थङ्कर स्वयंबुद्ध हैं, किसी से भी बोधि प्राप्त नहीं करते। तात्पर्य यह है कि उन्हें किसी गुरु के पास ज्ञानार्जन हेतु जाना नहीं पड़ता और न ही गुरु से वैराग्य की प्राप्ति होती है। अतः वे स्वयं ही सिद्ध परमेष्ठी को नमस्कार करके व्रत अंगीकार कर दीक्षित होते हैं। वे स्वयं ज्ञानी होते हैं। दीक्षा ग्रहण के पश्चात् उसी समय उनको मनः पर्यव ज्ञान उत्पन्न हो जाता है। 1. कल्पसूत्र 15-71. 2. आचा. 2.15.11, 2.15,26-29, कल्प. 97 3. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-पंचम, द्वितीय वक्षस्कार 4. राजप्रश्नीयसूत्र-१४-६७ 5. कल्पसूत्र 110-114, आचा. 2.15,1-6 6. आचारांग-२.१५, जम्बूद्वीप प्र. द्वि.व.पृ. 65-69, ज्ञाता-१.८.२०९