________________ (331) यह मृत कोषिकाओं को सजीव करता है, साथ ही उनको सक्रिय बनाता है। इस रंग में घन चुम्बकीय विद्युत् होती है। यह विद्युत् नाड़ी-मण्डल को शक्तिशाली और मस्तिक को सक्रिय करती है।' ____ पीला रंग बुद्धि और दर्शन का रंग है, तर्क का नहीं। इससे मानसिक कमजोरी, उदासीनता आदि दूर होते हैं। यह प्रसन्नता और आनन्द का सूचक है। __ लेश्याओं में प्रशस्त तीन लेश्या में पद्मलेश्या का वर्ण भी पीला है। यह रंग बहुत शक्तिशाली माना गया है, जो कि गर्मी पैदा करता है। लाल रंग भी गर्मी पैदा करता है। वस्तुतः उत्क्रमण की सारी प्रक्रिया गर्मी बढ़ाने की प्रक्रिया है। मस्तिष्क और नाड़ी-तंत्र को बल-२ ___ शारीरिक दृष्टि से पीला रंग मस्तिष्क और नाड़ी संस्थान को बल देता है। जिसकी बुद्धि, मस्तिष्क और स्मृति-शक्ति कमजोर हो, यदि पीले रंग के कमरे में रखा जाए तो उसमें परिवर्तन आना शुरु हो जाएगा। यदि मस्तिष्क में पीले रंग का ध्यान किया जाय तो बुद्धिबल शक्तिशाली होता जाता है। अनिर्वचनीय निर्मलता पीले रंग का नियमित और विधिवत् ध्यान करने से व्यक्ति को अनिर्वचनीय निर्मलता प्राप्त होती है। उसमें प्रज्ञा की निर्मलता, बुद्धि की निर्मलता और ज्ञानतंतुओं की निर्मलता इतनी तीव्र होती है कि वह हजारों ग्रन्थों के अध्ययन से भी उपलब्ध नहीं होती। गहराई में जाने की ऐसी दृष्टि मिल जाती है कि कोई भी समस्या को तत्काल सुलझाने में सक्षम हो जाता है। आचार्य प्रवर इसी मेधा शक्ति के कारण संघ को नेतृत्त्व के माध्यम से दिशा प्रदान करते हैं। चित्त की प्रसन्नता ___पीले रंग का जो मनोवैज्ञानिक प्रभाव है, वह है-चित्त की प्रसन्नता। रंग का मनोविज्ञान कहता है कि पीला रंग मन की प्रसन्नता का प्रतीक है। इससे मन की दुर्बलता मिटती है, आनन्द बढ़ता है। आगम कहते हैं-पीत लेश्या से चित प्रशांत होता है, शांति बढ़ती है और आनन्द में वृद्धि होती है। दर्शन की शक्ति पीले रंग से विकसित होती है। दर्शन का अर्थ है-साक्षात्कार, अनुभव। इससे तर्क-शक्ति नहीं, वरन् साक्षात्कार व अनुभव शक्ति का विकास होता है। 1. (वही पृ-३०-३१ 2. प्रेक्षा-ध्यान पृ 68 3. वही पृ६८ 4. वही