________________ (338) अध्याय-9 1. पंच परमेष्ठी की मंत्र रूप में प्रतिष्ठा : नमस्कार महामंत्र - नमस्कार मंत्र की संरचना (शब्द देह) - मंत्र की उपादेयता - मंत्र स्वरूप में स्थापना - मंत्र शब्द का व्युत्पत्ति परक अर्थ - मंत्र शिरोमणि नवकार - मंत्र की गहराई - नवकारमंत्र का महमंत्रत्व 2. पंच परमेष्ठी की सर्वदृष्टिता - सर्वोत्कृष्टता - त्रिदोषशामक : त्रिगुणवर्धक : त्रिपद मंत्र - मोक्ष और विनय का बीज - ज्ञान-क्रिया उभय स्वरूप - कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का त्रिवेणी संगम - संसार नाशक : पंच परमेष्ठी - तत्त्वरुचि, तत्त्वबोध, तत्त्वपरिणति रूप : पंच परमेष्ठी - प्राप्त, व्याप्त और समाप्त : पंचपरमेष्ठी