________________ (333) साधुपद-श्यामवर्ण साधु पद का ध्यान श्याम अर्थात् काले रंग से करना चाहिये। इसका स्थान है 'शक्तिकेन्द्र'। शक्ति केन्द्र का स्थान या पैरों के स्थान पर काले वर्ण के साथ इस मंत्रपद की आराधना की जाती है। काला वर्ण अवशोषक होता है। काला छाता क्यों रखा जाता है? सर्दी में वकील और न्यायाधीश काला कोट क्यों पहनते हैं? यह इसलिये कि यह काला रंग अवशोषक होता है। यह बाहर के प्रभाव को भीतर नहीं जाने देता। यह काला वर्ण महत्त्वपूर्ण वर्ण है। काले रंग की यह विशेषता है कि वह अन्य वर्गों की उदात्तता को भी ग्रहण नही करता, अपितु उसका यही प्रयास रहता है कि वह दूसरे वर्णों को भी स्वयं में मिला ले। उन्हें भी अपने रूप, गुण के अनुरूप बना ले। __यहाँ साधु पद का वर्ण भी श्याम मान्य किया गया है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है कि यह रंग अवशोषक होता है, जिस पर अन्य किसी रंग का प्रभाव नहीं पड़ सकता। उसी प्रकार साधु पद साधनामार्ग का प्रथम चरण, प्रथम सोपान है। त्याग-वैराग्य के मूर्तिमन्त्र रूप हैं। उमें गुणों को अवशोषित करने की क्षमता निहित है। अन्य वर्गों का प्रभाव काले रंग पर नहीं पड़ता, उसी प्रकार भौतिकता का प्रभाव भी साधु पर रंग नहीं जमा सकता। अन्य वर्णों जैसे लाल, पीले, आदि के आकर्षण से उनको उन्मुक्त होना चाहिये। वस्तुतः श्याम रंग से मन में एक अजीव वितृष्णा-सी पैदा होती है और उसके संपर्क में विषण्ण बनने लगता है। इसी कारण मूर्धन्य आचार्यों ने इसे शोक, विषाद, मृत्यु का भी सूचक बताया है। काले झंडे, काले बिल्ले आदि विरोध के प्रदर्शक है। ___ महाकाल और महाकाली की प्रतिमाएँ सदैव काले रंगों में रंगी होती है। वास्तव में काल शब्द मृत्यु का संदेशवाहक है। अतः उन्हें देखकर सदैव स्मरण रखना है कि यह नैसर्गिक है। उसकी अनिवार्यता को नकारा नहीं जा सकता बल्कि सदैव उसका स्मरण रखकर असत्कार्यों से बचा जा सकता है। इस प्रकार यह काला रंग जागरण का प्रथम सोपान बन जाता है। 1. प्रेक्षाध्यान : लेश्याध्यान पृ. 54-55 2. तीर्थंकर-२ पृ. 53, 76