________________ (324) ध्यान, समाधि के अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण दिशा प्रस्तुत की है। जो कि मौलिक होने के साथ-साथ प्रेरक है और हमें रंगों पर आधारित एक सम्यक् भूमिका उपलब्ध हुई है। पंच परमेष्ठी पद और वर्ण (रंग) विज्ञान___ पंच परमेष्ठी पदों के साथ वर्णों का समायोजन किया है, जो अद्भुत एवं पूर्णतः वैज्ञानिक है। नवकार सार थवण' में इन पंच पदों के पंच वर्ण निम्न प्रकार से मान्य किये हैं। 1. अर्हत्पद-धवल (श्वेत) वर्ण 2. सिद्धपद-रक्त (लाल) वर्ण 3. आचार्यपद-पीत (पीला) वर्ण 4. उपाध्याय पद-मरकतमणि सदृश (हरित अथवा नील) वर्ण 5. साधु पद-श्याम (काला) वर्ण 1. अर्हत् पद___ अर्हत पद का वर्ण यहाँ धवल स्वीकार किया है। वह धवल भी कैसा है? उसके लिए कथन है कि "ससिधवला" अर्थात् 'चंद्रवदुज्जवल' चंद्र के समान उज्ज्वल देदीप्यमान है। स्फटिक से उपमित यह ज्ञान का केन्द्र है एवं पारदर्शन/पवित्रता का द्योतक है। 2. सिद्ध पद सिद्ध का वर्ण रक्त अर्थात् लाल है। जिसे अग्नि या 'अरूणाभा'-प्रातः कालीन लाल-सूर्य की प्रभा की उपमा दी गई है। सद्यः उदित (बाल) सूर्य से उपमित यह दर्शन का केन्द्र है, जो कि तेजोमयता, दाहकता का प्रतीक है। 3. आचार्य पद आचार्य का वर्ण पीत अर्थात् पीला है ।जिसे 'कणया' अर्थात् कनक-सुवर्ण के सदृश स्वीकार किया है। कहीं हरिद्रा-हल्दी के सदृश भी कहा है। दीपशिखा से उपमित यह विशुद्धि का केन्द्र है, जो उर्ध्वगामिता, उच्चता का द्योतक है। 1. नवकार सार थवण पृ. 261-267