________________ (189) अध्याय-6 उपाध्याय-पद पंच परमेष्ठी का चतुर्थ पद-उपाध्याय - उपाध्याय-व्युत्पत्तिपरक अर्थ, सामान्य अर्थ - पर्यायें - प्रकार-गुण - आठ प्रभावनाएँ - अन्य विशेषताएँ-गणि-गच्छ-संधारणे, पाहण ने पल्लव आणे, बावना चन्दन रस समवयणे, अहित ताप सवि टाले, सूत्र सिद्धान्तों के पाठक - सूत्र सिद्धान्त (आगम) - आप्त कौन? - चौदहपूर्व, अंग आगम 1. अंग प्रविष्ट 2. अंगबाह्य - अन्य दर्शनों में समानपद - बौद्ध परम्परा में उपाध्याय पद