________________ (321) रंग की वैज्ञानिकता वस्तुतः रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परन्तु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम 'न्यूटन' ने किया / यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफेद प्रकाश कांच के प्रिज्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया। एक अंधेरे कमरे में छोटे से छेद द्वारा सूर्य का प्रकाश आता था। यह प्रकाश एक प्रिज्म कांच द्वारा अपवर्तित (Refract) होकर सफेद पर्दे पर पड़ता था। पर्दे पर सफेद प्रकाश के स्थान पर इन्द्रधनुष के सात रंग दिखाई दिए। ये रंग क्रमशः लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी थे। जब न्यूटन ने प्रकाश के मार्ग में एक और प्रिज्म पहले वाले प्रिज्म से उल्टा रखा, तो इन सातों रंगों का प्रकाश मिलकर पुनः सफेद रंग का प्रकाश बन गया इस प्रयोग से न्यूटन ने यह निष्कर्ष निकाला कि सफेद रंग प्रिज्म द्वारा सात रंगों में विभाजित हो जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो प्रकाश हमें सफेद रंग का दिखाई देता है, वह वास्तव में सात रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। न्यूटन ने एक गोल चकती को इन्द्रधनुष के सात 'रंगों' से उसी अनुपात में रंग दिया जिस अनुपात में वे इन्द्रधनुष में थे। इस चकती को तेजी से घुमाने पर यह सफेद दिखाई देती थी। इससे भी सिद्ध होता है कि सफेद प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है। प्रकाश का रंग रंग वास्तव में एक मानसिक अनुभूति है, जैसे स्वाद या सुगंध। बाह्य जगत् में इसका अस्तित्व रंग के रूप में नहीं, बल्कि विद्युच्चुंबकीय तरंगों के रूप में होता है। प्रकाश 'तरंग' के रूप में होता है और प्रकाश का रंग उसके तरंग दैर्ध्य (wave-length) पर आधारित होता है। तरंग-दैर्ध्य और कम्पन की आवृत्ति (frequency) परस्पर में व्यस्त प्रमाण (inverse proportion) से संबंधित है। अर्थात् तरंगदैर्ध्य के बढ़ने के साथ कम्पन की आवृत्ति कम होती है और घटने के साथ बढ़ती है। विभिन्न रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य भिन्न होता है। लाल रंग के - 1. णमोकार और रंग विज्ञान-१, उद्धृत तीर्थंकर, अंक 9-1971, पृ. 82 प्रेक्षाध्यानः लेश्या ध्यान पृ. 29-30 2. हिन्दी विश्वकोश खण्ड 10 पृ. 1-2 'रंग' शब्द