________________ (218) अध्याय-7 साधुपद पंच परमेष्ठी का पंचम पद : साधु श्रमण एवं ब्राह्मण परंपरा के तुलनात्मक दृष्टिकोण से (1) साधु : लक्षण, अर्थ, आगमिक व्याख्या साधु : पर्याय (2) साधु के गुण : विधि-निषेध रूप में विध्यात्मक(क) 18,000 शील गुणों के धारक (ख) 84,000,00 उत्तर गुणों से संयुक्त (ग) 32 संयमयोग संग्रह निषेधात्मक(अ) अनाचरण-1. (ब) 20 असमाधि दोष (स) 21 सबल (बड़े) दोष (3) साधु : आचार विधान : षडावश्यक (क) साधु समाचारी : विशिष्ट क्रियाएं (ख) साधु के विविध कल्प (ग) भिक्षु प्रतिमा 4. साधु के प्रकार 5. जैनधर्म और व्रत परम्परा 1. साधु के व्रत-1. सामायिक 2. पंच महाव्रत 2. चातुर्याम धर्म और पंच महाव्रत 3. पंच महाव्रत का तुलनात्मक अध्ययन क. बौद्ध परंपरा में दस शील ख. ब्राह्मण परंपरा में पंचयम 6. महाव्रतों के संरक्षण की व्यवस्था स्वरूप : अष्ट प्रवचन माता 1. पंचसमिति 2. तीन गुप्ति 7. अन्य दर्शनों में साधु एवं साधुत्व 8. साधुत्व की उपयोगिता