________________ (285) अस्तेय महाव्रत के भांगे अचौर्य महाव्रत के चौपन (54) भंग विकल्प निर्दिष्ट है' (1) अल्प (थोडी वस्तु) (2) बहु (अधिक) (3) अणु (छोटी वस्तु) (4) स्थूल (बड़ी वस्तु) (5) सचित्त (शिष्यादि) (6) अचित्त (वस्त्र-पात्रआदि) इन छः प्रकार की वस्तुओं की न स्वयं मन से चोरी करे, करवाये और अनुमोदन करे इसी प्रकार के अट्ठारह भंग वचन और काया के भी 1843 = 54 भंग कुल होते है। अचौर्य महाव्रती इन सभी भंगों का दृढ़ता से पालन करता है। अचौर्य महाव्रत की भावना आंचारांग सूत्र में निम्न पाँच भावनाओं का उल्लेख है 1. साधु प्रथम विचार करके परिमित अवग्रह की याचना करे। यदि इसके विपरीत जो बिना चिन्तन किये ही मितावग्रह की याचना करता है, वह अदत्त ग्रहण करता है। अतः परिमित अवग्रह की याचना करने की भावना करना। ____ 2. याचित वस्तुएँ यथा आहारादि का उपभोग आचार्य अथवा गुरू की आज्ञा से करे। जो बिना अनुज्ञा लिए सेवन करता है, तो वह अदत्तादान ग्रहण करता है। यहाँ अनुज्ञा के चिन्तन संबंधी भावना है। ___ 3. क्षेत्र और काल की मर्यादापूर्वक अवग्रह ग्रहण करना, जो सीमा अथवा परिमाण को स्पष्ट नहीं करता वह अदत्त ग्रहण करता है। 4. जो साधु अवग्रह की अनुज्ञा ग्रहण कर लेने पर भी पुनःपुनः अवग्रह की अनुज्ञा नहीं लेता, वह भी अदत्तादान-दोष से ग्रसित होता है। अतः पुनःपुनः अनुज्ञा ग्रहण संबंधी चिन्तन करना। ___5. अपने साधर्मिक/सहवर्ती/सहयोगी साधुओं के लिए भी विचारपूर्वक परिमित परिमाण में वस्तुओं की याचना करना। प्रश्नव्याकरण में भी इन पाँच भावनाओं का उल्लेख है। 1. (पक्खीसूत्र आला. 3) 2. आचा. 2.15 3. प्रश्रव्याकरण, संवरद्वार अध्य.८