________________ (240) 51. दंतवणे-दाँतों को रंगे। 52. गात्रभंग-कसरत, मल्ल कुश्ती आदि करे। इस प्रकार उपर्युक्त 52 अनाचरणों का त्याग करके साधु शुद्ध संयम का पालन करे। (ब) बीस असामधि दोष' - संयम में असमाधि उत्पन्न करने में निम्न 20 दोष है 2. प्रकाशित स्थान में दृष्टि से देखे बिना चले और अप्रकाशित स्थल पर रजोहरणादि से पूंजे (प्रमार्जन) बिना चलना। 3. प्रमार्जन अन्य स्थल पर करे, चले अन्य स्थान पर। 4. पाट, पट्टे आदि अधिक सेवन करे। 5. रत्नाधिक-गुणवन्त के सामने बोले। 6. स्थविर (वृद्ध) आदि की मौत इच्छे। 7. सर्व प्राण, भूत, जीव, सत्त्व के घात की इच्छा करे। 8. बात-बात में गुस्सा करे। 9. निंदा करे। 10. बारम्बार निश्चय भाषा (यह काम करूँगा, यहाँ जाऊँगा) बोले। 11. नये-नये झगड़े पैदा करें। 12. पुराने झगड़ों को उखाड़े, गुजरी गई बातों को पुनः पुनः याद करे और क्षमा माँगने पर भी लड़ाई करे। 13. बत्तीस प्रकार की असज्झायों में सज्झाय करे। ___ 14. रास्ते की धूल से सने पैरों (सचित रज से लिप्त) का प्रर्माजन किये बिना आसन पर बैठे। 15. रात्रि के अंतिम प्रहर से सूर्योदय पर्यन्त जोर से बोले। 16. मृत्यु होने जैसी लड़ाई-झगड़ा करे। 1. दशाश्रुतस्कंध अध्य. 1.2