________________ (63) 10. दुर्भिक्ष न पड़ना। 11. स्वचक्र और परचक्र का भय होना। (ग) देवकृत. अतिशय 1. आकाश में धर्मचक्र का होना। 2. आकाश में चंवरों का होना। 3. आकाश में पादपीठ सहित उज्ज्वल सिंहासन। 4. आकाश में तीन छत्र। 5. आकाश में रत्नमय धर्मध्वज। 6. स्वर्ण कमलों पर चलना। 7. समवसरण में रत्न, सुवर्ण और चांदी के तीन परकोटे। 8. चतुर्मुख उपदेश 1. चैत्यवृक्ष 10. कण्टकों का अधोमुख होना। 11. वृक्षों का झुकना। 12. दुन्दुभि बजना। 13. अनुकूल वायु। 14. गन्धोदक की वृष्टि। 15. पक्षियों का प्रदक्षिणा देना। 16. पाँच वर्गों के पुष्पों की वृष्टि। 17. नख और केशों का न बढ़ना। 18. कम से कम एक कोटि देवों का पास में होना। 19. ऋतुओं का अनुकूल होना। दिगम्बर परम्परा के ग्रंथों में दोनों की संख्या में भी भिन्नता है। 1. 1. समयाव 34 2. नियमासार 71, तत्त्वानुशासन 123-128, क्रिया कलाप 3-1/1