________________ (87) बुद्ध की विशेषताएं मज्झिम निकाय में बुद्ध की अनेक विशिष्ट विशेषताओं का वर्णन किया है। दसबल एवं चार वैशारद्य इन में विशेषतया होते हैंदसबल' - 1. तथागत स्थान को स्थान रूप में, अस्थान को अस्थान के रूप में जानते हैं। 2. तथागत अतीत, अनागत और वर्तमान में किये गये सत्त्वों के कर्मों के विपाक स्थान और विपाक हेतु को जानते हैं। 3. वे सर्वत्रगामिनी प्रतिपदा को जानते हैं। 4. वे समस्त लोक या ब्रह्माण्ड को यथार्थ रूप से जानते हैं। 5. वे विविध स्वभाव वाले सत्त्वों अर्थात् प्राणियों को यथार्थ रूप से जानते 6. तथागत सभी प्राणियों के इन्द्रियों की सामर्थ्यता और असामर्थ्यता को जानते हैं। 7.वे ध्यान, विमोक्ष, समाधि और समापत्ति के बाधक (मलों) और सहयोगी कारकों को यथार्थ रूप से जानते हैं। 8. उन्हें अनेक पूर्वजन्मों (निवासों) का ज्ञान होता है। 9. अपने विशुद्ध एवं दिव्य चक्षु से कौन प्राणी मरकर कहाँ उत्पन्न होगा? कहाँ से मरकर उत्पन्न हुआ है, इसे जानते हैं। 10. तथागत आस्रवों का क्षय हो जाने से चित्त की विमुक्ति और प्रज्ञा की विमुक्ति को इसी जन्म में प्राप्त कर लोक में विचरण करते हैं। चार वैशारद्य 1. तथागत सभी तथ्यों के ज्ञाता होते हैं, अतः उन्हें प्राश्निकों से कोई भय नहीं होता। 2. तथागत क्षीणास्रव (निर्मल चारित्रवान्) होते हैं। उन्हें इस बात पर कोई भय नहीं होता कि उनके निर्मल चारित्र पर कोई आक्षेप आ सके। 1. मज्झिम निकाय भाग-१ महासीहनाद सुत्त 12.2 पृ. 18.101) 2. मज्झिमनिकाय,महासींहनाद सुत्त भाग-१ 12.3 पृ. 101-102