________________ (115) 6. प्रत्येकबुद्धसिद्ध-जो किसी एक बाह्य निमित्त से प्रबुद्ध होकर सिद्ध होते हैं। 7. बुद्धबोधितसिद्ध-जो आचार्य आदि के द्वारा बोधि प्राप्त कर सिद्ध होते हैं। 8. स्त्रीलिंगसिद्ध-जो स्त्री के शरीर से सिद्ध होते हैं। 9. पुरुषलिंगसिद्ध-जो पुरुष के शरीर से सिद्ध होते हैं। 10. नपुंसकलिंगसिद्ध-जो कृत नपुंसक के शरीर से सिद्ध होते हैं। 11. स्वलिंगबुद्ध-जो निर्ग्रस्थ के वेश में सिद्ध होते हैं। 12. अन्यलिंगसिद्ध-जो निर्ग्रन्थेतर भिक्षु के वेश में सिद्ध होते हैं। 13. गृहलिंगसिद्ध-जो गृहस्थ के वेश में सिद्ध होते हैं। 14. एक सिद्ध-जो एक समय में एक सिद्ध होते हैं। 15. अनेकसिद्ध-जो एक समय में दो से लेकर उत्कृष्टतः एक सौ आठ तक सिद्ध होते हैं। ___ मोक्ष एक है', सिद्धि एक है, सिद्ध एक है, परिनिर्वाण एक है, परिनिर्वत एक है', तीर्थ सिद्धों की वर्गणा एक है, अतीर्थ सिद्धों की वर्गणा एक है", स्वयंबुद्ध सिद्धों की वर्गणा एक है', प्रत्येक बुद्ध सिद्धों की वर्गणा एक है, बुद्ध बोधित सिद्धों की वर्गणा", एक है, स्त्रीलिंग सिद्धों की वर्गणा एक है१, पुरुषलिंग सिद्धों की वर्गणा एक है 2, नंपुसक सिद्धों की वर्गणा एक है३, सलिंग सिद्धों की वर्गणा एक है, अन्यलिंगसिद्धों की वर्गणा एक है१५, गृहलिंग सिद्धों की वर्गणा एक है१६, एक सिद्ध की वर्गणा एक है१७, अनेक सिद्धों की वर्गणा एक है१८, अप्रथम समय सिद्धों की वर्गणा एक है१९, इसी प्रकार यावत् अनन्तसमय सिद्धों की वर्गणा एक है। ___ यहाँ इन सूत्रों में सिद्ध की एकता का प्रतिपादन किया गया है और उनके पन्द्रह भेदों का निरूपण किया गया है। जीव दो प्रकार के होते हैं-1. सिद्ध 2. संसारी कर्ममुक्त जीव सिद्ध कहलाते हैं। सिद्धों में आत्मा का पूर्ण विकास हो चुका है। वास्तव में आत्मिक विकास की दृष्टि से उनमें कोई भेद नहीं है। इसे अभेद 1-20. स्थनांग सूत्र-१.१०, 51, 52, 53, 54, 214, 215, 216, 217, 218, 219, 220, 221, 222, 223, 225, 226, 228, 229