Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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विषयानुक्रमणिका ४५. सामायिक : शान्ति का द्वार
सामायिक में सार है ७८८ ०६. संकल्प
गुरुदेव चरण वन्दन करके ७८९ ४७. प्रभु प्रार्थना
श्री वर्धमान जिन, ऐसा हमको ७८९ ४८. गुरुदेव तुम्हारे चरणों में
जीवन धन आज समर्पित है ७९० ४९. संघ की शुभ कामना
श्री संघ में आनन्द हो ७९१ ५०. पर्युषण महिमा
पर्युषण है पर्व हमारा ७९१ ५१. भगवान तुम्हारी शिक्षा
जीवन को शुद्ध बना लेऊँ ७९२ ५२. सच्ची सीख
जिन्दगी है संघ की ७९२ ५३. कौमी हमदर्दी
जैनिओं ! कौमी हमीयत आप ७९२ ५४. षट् कर्म की साधना
कहे मुनीश्वर सुनो बाई अरु भाई ·७९३ ५५. गुरु - वन्दना
आओ अय प्यारे मित्रों ७९४ ५६. सच्ची सीख
गाओ गाओ अय प्यारे गायक ७९५ ५७. रक्षा-बन्धन
जीव की रक्षा कर लीजे ७९६ ५८. चातुर्मास काल
____ वर्षा ऋतु आई ७९६ '.९. महावीर-स्तुति
ध्याओ शासनपति महावीर ७९७ ६०. पार्श्वनाथ - स्तुति
वामाजी के नन्दन तुम हो ७९७ ६१. माता-पद
मरुदेवीजी माता जग में अमर हुई ७९८
पंचम खण्ड : परिशिष्ट प्रथम परिशिष्ट : चरितनायक की साधना में प्रमख सहयोगी साधक महापुरुष
७९९ आचार्यप्रवर श्री शोभाचन्द्र जी म.सा. ७९९, बाबाजी श्री हरखचन्दजी म.सा. ८०१, स्वामीजीश्री सुजानमलजी म.सा,८०२ स्वामीजी श्री भोजराजजी म.सा.८०३, पं. रत्न श्री बड़े लक्ष्मीचन्दजी मसा.८०४, महासती श्री बड़े धनकंवरजी म.सा.८०५, महासती श्री
रूपकंवरजी म.सा. (चरितनायक की माताश्री) ८०६ द्वितीय परिशिष्ट : चरितनायक के शासनकाल में दीक्षित संत-सती
८०८ (अ प्रमुख सन्तवृन्द का परिचय ८०८
(ब) प्रमुख साध्वीवृन्द का परिचय ८१८ तृतीय परिशिष्ट : कल्याणकारी संस्थाएँ
८३७ चतुर्थ परिशिष्ट : आचार्यप्रवर के ७० चातुर्मास : एक झलक
८५९