Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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विषयानुक्रमणिका
७. स्वाध्याय-सन्देश
स्वाध्याय करो
स्वाध्याय - महिमा १०. जिनवाणी का माहात्म्य ११. आह्वान १२. जीवन उत्थान गीत १३. सामायिक का स्वरूप १४. सामायिक-गीत १५. सामायिक-सन्देश १६. गुरु - भक्ति १७. देह से शिक्षा १८. सुख का मार्ग : विनय १९. वीर-वन्दना २०. विदाई-सन्देश २१. वीर - सन्देश २२. हित - शिक्षा २३. सेवा-धर्म की महिमा २४. उद्बोधन
सप्त व्यसन - निषेध
सच्चा श्रावक २७. ईश्वर और सृष्टि विचार २८. सुशिक्षा २९. जिनवाणी की महिमा ३०. गुरु - महिमा ३१. गुरु - विनय ३२. बाल - प्रार्थना ३३. भगवत् चरणों में ३४. शुभ कामना
दर्शनाचार २६. स्त्री-शिक्षा ३७. माता को शिक्षा ३८. स्त्री-शिक्षा ३९. स्त्री-शिक्षा ४०. महावीर - जन्मोत्सव ४१. वर्षाकाल में जतना ४२. आचार्य - परम्परा ४३. पार्श्व- महिमा ४४. पर्व पर्युषण आया
कर लो श्रुतवाणी का पाठ ७६२ जिनराज भजो, सब दोष तजो ७६३
हम करके नित स्वाध्याय ७६४ कर लो कर लो, अय प्यारे ७६४ ऐ वीरों ! निद्रा दूर करो ७६५ करने जीवन का उत्थान ७६५
अगर जीवन बनाना है ७६६ कर लो सामायिक रो साधन ७६७ जीवन उन्नत करना चाहो ७६७
घणो सुख पावेला ७६८ शिक्षा दे रहा जी हमको ७६९
सदा सुख पावेला ७६९ मन प्यारे नित प्रति रट लेना ७७० जीवन धर्म के हित में लगा जायेंगे ७७० वीर के सन्देश को दिल में ७७०
घणो पछतावेला ७७१ सेवा धर्म बड़ा गम्भीर ७७२ ऐ वीर भूमि के धर्मवीर ७७२
है उत्तम जन आचार ७७३ सांचा श्रावक तेने कहिए ७७४ जगत कर्ता नहीं ईश्वर ७७५ तुम सुनो सभी नरनार ७७५
श्री वीरप्रभु की वाणी ७७६ अगर संसार में तारक गुरुवर ७७७ श्री गुरुदेव महाराज हमें यह वर दो ७७७
विनय से करता हूँ नाथ पुकार ७७८ होवे शुभ आचार प्यारे भारत में ७७८
दयामय होवे मंगलाचार ७७९ दर्शनाचार को शुद्ध रीति से पालो ७७९
प्यारी बहनों समझो ७८२ समझो समझो री माताओं ७८२ पालो पालो री सोभागिन ७८३ धारो धारो री सोभागिन ७८३
श्री महावीर स्वामी का ७८४ जीव की जतना कर लीजे रे ७८५
_प्रतिदिन जप लेना ७८६ पार्श्व जिनेश्वर प्यारा ७८७ यह पर्व पर्युषण आया ७८७