Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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विषयानुक्रमणिका
७२२
७२४
७२१ ३१. गुरुदेव वन्दना
श्री हीरामुनिजी म.सा. ३२. पूज्य हस्ती मुनि गुण गाओ ३३. चारित्रवान गुरुदेव की महिमा
७२३ ३४. गणि गजेन्द्रगुणगान
७२३ ३५. गुरु गुण महिमा
श्री गोविन्दराम जैन ३६. गुणरलाकर की गौरव गाथा
श्री गौतम मुनि जी म.सा. ७२४ ३७. तेरी वन्दना करें
श्री मीठालाल 'मधुर' ७२५ ३८. हस्ती नटवर नागरियो
श्री मीठालाल 'मधुर' ७२६ ३९. जय बोलो हस्ती पूज्यवर की
श्री गोविन्दराम जैन ७२७ चतुर्थ खण्ड : कृतित्व खण्ड
(1) आचार्यप्रवर की साहित्य-साधना (अ) आगमिक व्याख्या-साहित्य
७३० दशवैकालिक सूत्र ७३१, नन्दी सूत्र ७३२, प्रश्न व्याकरण सूत्र ७३२, बृहत्कल्प सूत्र ७३३, उत्तराध्ययन सूत्र
७३४, उत्तराध्ययन सूत्र पद्यानुवाद ७३५, दशवैकालिक सूत्र पद्यानुवाद सहित ७३५, अन्तगडदसासुत्तं ७३६ (आ) प्रवचन - साहित्य
७३६ गजेन्द्र मुक्तावली मुक्ता (भाग-१) ७३६, गजेन्द्र मुक्तावली (भाग-२) ७३७, आध्यात्मिक साधना ७३९,
आध्यात्मिक आलोक ७४०, प्रार्थना-प्रवचन ७४१, Concept of Prayer ७४२, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-१) ७४२, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-२) ७४२, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-३) ७४३, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-४)७४३, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-५)७४४, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-६) ७४५, गजेन्द्र व्याख्यान माला (भाग-७) ७४५, पर्युषण साधना ७४६, आत्म परिष्कार ७४६ इतिहास-साहित्य पट्टावली प्रबन्ध संग्रह ७४७, जैन आचार्य चरितावली ७४८, जैन धर्म का मौलिक इतिहास (प्रथम से चतुर्थ भाग तक) ७४८ काव्य कथा एवं अन्य साहित्य गजेन्द्र पद मुक्तावली ७५२, स्वाध्याय माला - प्रथम भाग ७५४, अमरता का पुजारी ७५५, सैद्धान्तिक प्रश्नोत्तरी ७५६, जैन स्वाध्याय सुभाषित माला ७५६, कुलक संग्रह ७५६, पर्युषण पर्व पदावली ७५७ अप्रकाशित अनुपलब्ध साहित्य तत्त्वार्थ सूत्र (पद्यबद्ध) ७५८, ध्यान- सम्बन्धी पुस्तक ७५८, स्याद्वादमंजरी ७५८, मुक्ति -सोपान ७५८, षड्दर्शन समुच्चय ७५८
(ii) काव्य-साधना
(आचार्य श्री की प्रमुख चयनित रचनाएँ) श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रार्थना
ऊँ शान्ति शान्ति ७५९ सब जग एक शिरोमणि तुम हो
सतगुरु ने यह बोध बताया ७५९ आत्म बोध
समझो चेतनजी अपना रूप ७६० जागृति - सन्देश
जागो जागो हे आत्मबन्धु ७६१ अन्तर भया प्रकाश
मेरे अन्तर भया प्रकाश ७६१ आत्म-स्वरूप
मैं हूँ उस नगरी का भूप ७६२
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