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समाचाराधिकार ४।
समाचाराधिकार ॥ ४॥
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आगे आयु बल रहनेपर जिसके अतीचाररहित मूलगुणोंका निर्वाह होता है उसकी प्रवृत्ति वतलानेके चौथा समाचार नामा अधिकार नमस्कारपूर्वक कहते हैं:तेलोकपुज्जणीए अरहंते वंदिऊण तिविहेण । वोच्छं सामाचारं समासदो आणुपुच्चीए ॥ १२२ ॥ त्रिलोकपूजनीयान् अर्हतः वंदित्वा त्रिविधेन । वक्ष्ये सामाचारं समासत आनुपूर्व्या ।। १२२ ।।
अर्थ – भवनवासीअसुर मनुष्य देव - इन तीनोंकर वंदने योग्य ऐसे अर्हत भगवानको मनवचनकायसे वंदनाकर मैं (वट्टकेरि ) संक्षेपसे पूर्व अनुक्रमकर समाचार अधिकार कहूंगा ॥ १२२ ॥
आगे समाचार शब्दकी चार प्रकार से निरुक्ति कहते हैं;समदा सामाचारो सम्माचारी समो व आचारो । सव्वेसिं हि समाणं सामाचारो दु आचारो ॥ १२३ ॥
समता समाचारः सम्यगाचारः समो वा आचारः । सर्वेषां हि समानां समाचारस्तु आचारः ॥ १२३ ॥
अर्थ—राग द्वेषके अभावरूप समताभाव है वह समाचार है, अथवा सम्यक् अर्थात् अतीचार रहित जो मूलगुणोंका अनुष्ठानआचरण वह समाचार है, अथवा प्रमत्तादि समस्त मुनियोंका समान अहिंसादिरूप आचार वह समाचार है, अथवा सब क्षेत्रों में हानिवृद्धिरहित कायोत्सर्गादिकर सदृश परिणामरूप आचरण वह समाचार है ॥ १२३ ॥