Book Title: Mulachar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Anantkirti Digambar Jain Granthmala

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Page 427
________________ ३९० मूलाचारबारस वासा वेइंदियाणमुक्कस्सं भवे आऊ । राइंदिणाणि तेइंदियाणमुणुवण्ण उक्कस्सं ॥ ११०८ ॥ द्वादश वर्षाणि द्वींद्रियाणामुत्कृष्टं भवेत् आयुः। रात्रिंदिनानि त्रींद्रियाणामेकोनपंचाशत् उत्कृष्टं ॥११०८॥ अर्थ-शंख आदि दोइंद्रियका उत्कृष्ट आयु बारह वर्ष है और गोभी आदि तेइंद्रियका उत्कृष्ट आयु उनचास अहोरात्रका है ॥ ११०८ ॥ चउरिंदियाणमाऊ उक्करसं खलु हवेज छम्मासं । पंचिंदियाणमाऊ एतो उ8 पवक्खामि ॥११०९ ॥ चतुरिंद्रियाणामायुः उत्कृष्टं खलु भवेत् षण्मासाः। पंचेंद्रियाणामायुः इत ऊर्ध्व प्रवक्ष्यामि ॥ ११०९ ॥ अर्थ-भ्रमर आदि चौइंद्रियोंका उत्कृष्ट आयु छह महीनेका है इससे आगे पंचेंद्रियोंका आयु कहते हैं ॥ ११०९ ॥ मच्छाण पुव्वकोडी परिसप्पाणं तु णवय पुव्वंगा। बादालीस सहस्सा उरगाणं होइ उक्कस्सं ॥१११०॥ मत्स्यानां पूर्वकोटी परिसर्पाणां तु नवैव पूर्वांगानि । द्वाचत्वारिंशत् सहस्राणि उरगाणां भवति उत्कृष्टं॥१११०॥ अर्थ-मच्छोंका उत्कृष्ट आयु एक कोटिपूर्व है गोह आदिका आयु नव पूर्वांग ही है सौका आयु व्यालीस वर्षका है ।।१११०॥ पक्खीणं उक्कस्सं वाससहस्सा बिसत्तरी होति । एगा य पुव्वकोडी असण्णीणं तह यकम्मभूमीणं११११ पक्षिणां उत्कृष्टं वर्षसहस्राणि द्वासप्ततिः भवति । एका च पूर्वकोटी असंज्ञिनां तथा च कर्मभौमानां ११११

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