Book Title: Mulachar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Anantkirti Digambar Jain Granthmala

Previous | Next

Page 412
________________ पर्याप्ति-अधिकार १२ । ३७५ शतमेकं पंचविंशतिः धनुःप्रमाणेन ज्ञातव्यं ॥ १०५९ ॥ अर्थ-धूमप्रभा पृथिवीमें नारकियोंकी उंचाई एकसौ पच्चीस धनुष प्रमाण जानना चाहिये ॥ १०५९ ॥ छठ्ठीए पुढवीए णेरड्याणं तु होइ उस्सेहो। दोणिसदा पण्णासा धणुप्पमाणेण विण्णेया॥१०६० षष्ठयां पृथिव्यां नारकाणां तु भवति उत्सेधः ।। द्वे शते पंचाशत् धनुःप्रमाणेन विज्ञेया ॥ १०६० ॥ अर्थ-तमप्रभा पृथिवीमें नारकियोंकी उंचाई दोसौ पचास धनुष प्रमाण है ॥ १०६०॥ सत्तमिए पुढवीए णेरैइयाणं तु होइ उस्सेहो। पंचेव धणुसयाई पमाणदो चेव बोधव्वा ॥ १०६१ ॥ सप्तम्यां पृथिव्यां नारकाणां तु भवति उत्सेधः। पंचैव धनुःशतानि प्रमाणतश्चैव बोद्धव्यानि ॥ १०६१ ॥ अर्थ-महातम प्रभा नामकी सातवीं पृथिवीमें नारकियोंकी उंचाई पांचसै धनुष प्रमाण है ऐसा जानना ॥ १०६१ ॥ अब देवोंके शरीरका प्रमाण बतलाते हैंपणवीसं असुराणं सेसकुमाराण दस धणू चेव । विंतरजोइसियाणं दस सत्त धणू मुणेयव्वा ॥१०६२॥ पंचविंशतिः असुराणां शेषकुमाराणां दश धनूंषि चैव । व्यंतरज्योतिष्काणां दश सप्त धनूंषि ज्ञातव्यानि ॥१०६२॥ अर्थ-भवनवासियोंमें असुरकुमारोंका शरीर पच्चीस धनुष प्रमाण है और बाकीके नौ कुमारोंका शरीर दस धनुष है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470