Book Title: Mulachar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Anantkirti Digambar Jain Granthmala

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Page 421
________________ ३८४ मूलाचारकायमा संस्थानं हरितत्रसा अनेकसंस्थानाः॥१०८९ ॥ अर्थ-पृथिवीकाय जलकाय तेजकाय वायुकायके शरीरका आकार मसूर डाभके अग्रभागमें जलबिंदु सूचीसमुदाय ध्वजा रूप क्रमसे है सब वनस्पति और दो इंद्रिय आदि त्रस जीवोंका शरीर भेदरूप अनेक आकारवाला है ॥ १०८९ ॥ समचउरसणिग्गोहासादियखुजायवामणाहुंडा। पंचिंदियतिरियणरा देवा चउरस्स णारया हुंडा१०९० समचतुरस्रन्यग्रोधसातिककुब्जवामनहुंडाः। पंचेंद्रियतिर्यग्नरा देवाः चतुरस्रा नारका हुंडाः ॥१०९०॥ अर्थ-समचतुरस्र न्यग्रोध सातिक कुब्ज वामन हुंड-ये छह संस्थान पंचेंद्रिय तिर्यंच मनुष्योंके होते हैं, देव चतुरस्र संस्थानवाले हैं नारकी सब हुंडक संस्थानवाले होते हैं ॥ १०९० ॥ जवणालिया ममूरिअ अतिमुत्तयचंदए खुरप्पे य । इंदियसंठाणा खलु फासस्स अणेयसंठाणं ॥१०९१ ॥ यवनालिका मसूरिका अतिमुक्तकं चंद्रकं क्षुरप्रं च । इंद्रियसंस्थानानि खलु स्पर्शस्य अनेकसंस्थानं ॥१०९१ ॥ अर्थ-श्रोत्र चक्षु घ्राण जिह्वा इन चार इंद्रियोंका आकार क्रमसे जौकी नली, मसूर, अतिमुक्तक पुष्प, अर्धचंद्र अथवा खुरपा इनके समान है और स्पर्शन इंद्रिय अनेक आकाररूप है ।। चत्तारि धणुसदाइं चउसट्ठी धणुसयं च फस्सरसे। गंधे य दुगुण दुगुणा असण्णिपंचिंदिया जाव १०९२ चत्वारि धनु शतानि चतुःषष्टी धनुःशतं च स्पर्शरसयोः। गंधस्य च द्विगुणद्विगुणानि असंज्ञिपंचेंद्रिया यावत् १०९२

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