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.. के उद्देश्य से वृत्ति आदि का कथन किया है। प्र.141 श्रुत पुरुष के पांच अंग होते है उनमें से कौनसे अंग का भाष्यकार
ने कथन नही किया है ? उ. नियुक्ति का कथन नही किया है। चार अंगों के साथ अद्याहार से नियुक्ति
को भी ग्रहण कर लेना चाहिए। प्र.142 पूर्व में आगम लेखन की परम्परा क्यों नही थी ? उ. लेखन में दोष की सम्भावना होने के कारण नही लिखते थे। 1. अक्षर लिखने से कुन्थु आदि त्रस जीवों की हिंसा होती है, अतः पुस्तक लिखना संयम विराधना का कारण है। ..
दशवैकालिक चूणि पे. 21, वृहत्कल्प नियुक्ति उ. 73 2. पुस्तकों को एक ग्राम से दूसरे ग्राम ले जाते समय कन्धे छिलते है
घाव हो जाते है, व्रण हो जाते है। , 3. उनके छिदों की सम्यक प्रकार से पडिलेहण नही हो पाती। . 4. कुंथु आदि त्रस जीवों का आश्रय होने के कारण पुस्तक अधिकरण
है । चोर आदि द्वारा चुराये जाने पर भी अधिकरण हो जाता है । 5. तीर्थंकर ने श्रमणों को अपरिग्रही कहा है, जबकि पुस्तक परिग्रह है।
पुस्तकें पास में रखने से स्वाध्याय में प्रमाद होता है, पुस्तकों को बांधने,
खोलने में भी काफी समय व्यतीत होता है। 7. पुस्तकें बांधने, खोलने और जितने अक्षर लिखे जाते है, उतने चतुर्लघुकों का प्रायश्चित्त आता है ।
दशवकालिक चूर्णि पेज 21, वृहत्कल्प भाष्य गाथा 21- 38
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आगमों के भेद-प्रभेद
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