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4. शरीर का पसीना, नाक का मल (बलगम) आदि पूजा के वस्त्रों से साफ नहीं करना चाहिए ।
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5. जलपान, नाश्ता, मुखवास, भोजन, दवाई आदि का सेवन भी पूजा के वस्त्रों में नही करना चाहिए ।
6. बहनों को पूजा के वस्त्रों में शिशु को स्तनपान भी नहीं करवाना · चाहिए ।
7. पूजा के वस्त्रों को धारण करने से पूर्व उन्हें सुगन्धित धूप से वासित अवश्य करना चाहिए ।
8. लघुनीति व बडीनीति आदि पूजा के वस्त्रों में नही करना चाहिए । 9. अन्यों के उपयोग किये हुए, कटे, फटे, जले, पूराने और सांधे हुए पूजा के वस्त्र धारण नही करने चाहिए ।
10. बाल, वृद्ध और स्त्री के द्वारा पूजा में धारित वस्त्रों को अन्य के द्वारा धारण नही करना चाहिए। क्योंकि उनमें अशुचि की सम्भावना हो सकती है।
11. गीतार्थ गुरू भगवंतों की आज्ञा से ही कारणवश 'स्वेटर, बनियान व अन्तर वस्त्र धारण करना चाहिए ।
12. पूजा के वस्त्र धारण करने के पश्चात् जूते, चप्पल आदि नही पहनने चाहिए ।
प्र. 431 पूजा के वस्त्रों में सामायिक, प्रतिक्रमण आदि क्यों नही करना चाहिए ?
उ.
हमारे शरीर से प्रतिपल अशुचि का प्रवाह होता है और वह अशुचि हमारे वस्त्रों को अशुद्ध बनाती है । अत: लम्बे समय तक पूजा के वस्त्रों को धारण नही करना चाहिए । प्रतिदिन पूजा के पश्चात् पूजा के वस्त्रों को
चतुर्थ पूजा क
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