Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 461
________________ जिन मंदिर का निर्माण कर, दानादि चार करने से श्रावक मरणोपरांत अच्युत नामक बारहवें देवलोक में जन्म लेता है। प्र.1564 प्रतिमा के प्रकार बताते हुए नाम लिखिए । उ. प्रतिमा के तीन प्रकार - 1. व्यक्ति प्रतिमा 2. क्षेत्र प्रतिमा 3. महा प्रतिमा।। प्रतिमा षोडशक ग्रंथ - पू. हरिभद्रसूरिजी म. कृत प्र.1565 व्यक्ति प्रतिमा से क्या तात्पर्य है ? उ. जिस काल में जो तीर्थंकर परमात्मा होते है, उस काल में उन तीर्थंकर की प्रतिमा को श्रुतधर ज्ञानी पुरुष 'व्यक्ति प्रतिमा' कहते है। प्र.1566 क्षेत्र प्रतिमा किसे कहते है ? भरतादि किसी एक क्षेत्र की एक चौबीसी जैसे - परमात्मा ऋषभदेव से लेकर परमात्मा महावीर प्रभु तक के समस्त चौबीस तीर्थंकर परमात्मा की एक पट में एक साथ बनाई हो, ऐसी प्रतिमा को क्षेत्र प्रतिमा कहते है। अर्थात् एक क्षेत्र विशेष के चौबीस तीर्थंकर परमात्मा की एक साथ एक पट पर सामूहिक प्रतिमा, क्षेत्र प्रतिमा है । प्र.1567 महा प्रतिमा किसे कहते है ? सर्व क्षेत्रों (भरत, ऐरावत व महाविदेह) के एक सौ सितर तीर्थंकर परमात्मा की एक साथ ही पट पर निर्मित जिन प्रतिमा, महाप्रतिमा कहलाती है। प्र.1568 प्रतिमा भरवाने से क्या फल मिलता है ? उ. जो कारवेइ पडिमं जिणाण जियरागदोसमोहाणं । सो पावेई अन्न भवे भवमहणं धम्मवररयणं ॥ अर्थात् जो पुरुष राग-द्वेष-मोह से विनिर्मुक्त तीर्थंकर परमात्मा की प्रतिमा भराता (करवाता) है वह दूसरे जन्म में उत्तम धर्मरत्न को प्राप्त करता है और धर्म के प्रभाव से संसार भम्रणा का अंत करता है । ofo of ofo of of of of of of of of foot of of of ofo ofo of ofo of oto oto ofo of ofo of ofo of of of of of of off off ffft 446 परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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