Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 460
________________ होती है 1. व्यक्ति प्रतिष्ठा 2. क्षेत्र प्रतिष्ठा 3. महा प्रतिष्ठा । प्र. 1559 व्यक्ति प्रतिष्ठा किसे कहते है ? उ. जिस काल में जिस तीर्थंकर परमात्मा का शासन चलता है उस काल में उस तीर्थ संस्थापक तीर्थंकर परमात्मा की प्रतिष्ठा अथवा एक जिन बिम्ब की प्रतिष्ठा, व्यक्ति प्रतिष्ठा कहलाती है । प्र. 1560 क्षेत्र प्रतिष्ठा किसे कहते है ? उ. चौबीस जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा अर्थात् भरत क्षेत्र के किसी एक चौबीसी जैसे वर्तमान काल के परमात्मा ऋषभदेव से लेकर परमात्मा महावीर प्रभु तक के चौबीस तीर्थंकर परमात्मा के जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा, क्षेत्र प्रतिष्ठा कहलाती है । प्र. 1561 महा प्रतिष्ठा किसे कहते है ? उ. षोडशक प्रकरण आठ गाथा 2 व 3 सर्व क्षेत्रों (भरत, ऐरावत व महाविदेह) के उत्कृष्ट 170 जिनेश्वर परमात्मा के जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा, महा प्रतिष्ठा कहलाती है । प्र. 1562 अवसरण प्रतिष्ठा किसे कहते है ? उ. अवसरण यानि समवसरण, समवसरण में चारों दिशाओं में परमात्मा . विराजमान होते है, इसी प्रकार से चार जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा, अवसरण प्रतिष्ठा कहलाता है । प्र. 1563 जिन मंदिर का निर्माण करवाने से क्या फल मिलता है ? उ. काउंपि जिणाययणेहिं, मंडियं सत्वमेइणीवट्टं । दाणा चउक्केण सड्ढो, गच्छेज्ज अच्चुयं जाव न परं ॥ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International महानिशीथ सूत्र का 4था अध्ययन For Personal & Private Use Only 445 www.jainelibrary.org

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