Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 405
________________ प्र.1409 देवाधिदेव तीर्थंकर परमात्मा के उपर कितने छत्र होते है ? चारों दिशाओं में परमात्मा के उपर तीन-तीन छत्र सुशोभित होते है, इस प्रकार कुल बारह छत्र होते है। 'अर्हन्नमस्कारावलिका' के अनुसार 'नमोपंचदसछत्तरयणसंसोहिआण अरिहंताणं' अर्थात् 15 छत्र होते है । प्रत्येक दिशा में तीन-तीन छत्र होते है, अतः कुल चार दिशा में 12 छत्र और उर्ध्व दिशा में तीन छत्र इस प्रकार कुल 15 छत्र होते है। प्र.1410 गणधर भगवंत किस द्वार से समवसरण में प्रवेश करते है और वहाँ कौनसी दिशा में विराजित होते है ? उ. पूर्व द्वार से प्रवेश करते है और तीर्थंकर परमात्मा के पास अग्निकोण में विराजित होते है। प्र.1411 पूर्व द्वार से कौन-कौन समवसरण में प्रवेश करते है ? उ. साधु, साध्वी और वैमानिक देवियाँ । प्र.1412 पश्चिम द्वार से समवसरण में कौन-कौन प्रवेश करते है और वे कहाँ आकर बैठते है ? उ. भवनपति, ज्योतिष्क और व्यंतर देव नामक तीन पर्षदा पश्चिम द्वार से प्रवेश करके वायव्य कोण में बैठते है। प्र.1413 उत्तर द्वार से कौन सी पर्षदा समवसरण में प्रवेश करती है ? उ. वैमानिक देव, नर एवं नारियाँ नामक तीन पर्षदा । प्र.1414 भवनपति, ज्योतिष्क और व्यंतर देव की देवियाँ समवसरण में कौन से द्वार से प्रवेश करते है ? उ. दक्षिण द्वार से । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 390 परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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