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सिद्ध 5. योग सिद्ध 6. आगम सिद्ध 7. अर्थ सिद्ध 8. यात्रा सिद्ध
9. अभिप्राय सिद्ध 10. तप सिद्ध 11. कर्म क्षय सिद्ध । प्र.1511 कर्म क्षय सिद्ध किसे कहते है ? उ. मरूदेवी माता के समान ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों को मूल से नष्ट
करने से जो सिद्ध (मुक्त) होते है, हुए है, वे कर्म क्षय सिद्ध कहलाते
है।
उ.
प्र.1512 कर्म क्षय सिद्ध कितने प्रकार के होते है ?
पन्द्रह प्रकार के - 1. जिन सिद्ध (तीर्थंकर सिद्ध) 2. अजिन सिद्ध (अतीर्थंकर सिद्ध) 3. तीर्थ सिद्ध 4. अतीर्थ सिद्ध 5. गृहस्थ लिंग सिद्ध 6. अन्यलिंग सिद्ध 7. स्वलिंग सिद्ध 8. स्त्रीलिंग सिद्ध 9. पुरुषलिंग सिद्ध 10. नपुंसकलिंग सिद्ध 11. प्रत्येक बुद्ध सिद्ध 12. स्वयंबुद्ध सिद्ध 13. बुधबोधित सिद्ध 14. एक सिद्ध 15. अनेक सिद्ध ।
उपरोक्त पन्द्रह प्रकार के सिद्ध अनन्तर सिद्ध कहलाते है । प्र.1513 तीर्थंकर सिद्ध किसे कहते है ? उ. तीर्थंकर पद की सम्पदा को प्राप्त कर जो मोक्ष में जाते है, वे तीर्थंकर
परमात्मा, तीर्थंकर सिद्ध (जिन सिद्ध) कहलाते है । जैसे ऋषभादि
चौबीस जिनेश्वर परमात्मा । प्र.1514 अजिन (अतीर्थंकर) सिद्ध किसे कहते है ? उ. सामान्य केवली भगवंत आदि, जो तीर्थंकर पद पाये बिना मोक्ष में जाते
है, वे अजिन सिद्ध कहलाते है । जैसे गौतम आदि गणधर भगवंत । प्र.1515 तीर्थ सिद्ध किसे कहते है ? उ.. तीर्थंकर परमात्मा के द्वारा तीर्थ की स्थापना के पश्चात् जो सिद्ध हुए ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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