Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

View full book text
Previous | Next

Page 455
________________ 5. कैवल्य 6. अपवर्ग 7. अपुनर्भव 8. शिव 9. अमृतपद 10. नि:श्रेयस 11. श्रेयस 12. महानन्द 13. ब्रह्म 14. निर्याण 15. निवृत्ति 16. महोदय 17. अक्षर 18. सर्व कर्मक्षय 19. सर्व दुःखक्षय 20. पंचम गति । प्र.1545 अलग-अलग प्रकार के सिद्ध की अपेक्षा से एक समय में उत्कृष्ट कितने सिद्ध होते है ? 1. तीर्थ की प्रवृत्ति काल में 'एक समय' में उत्कृष्ट 10 सिद्ध होते है । 2. तीर्थ विच्छेद काल में एक समय में उत्कृष्ट 10 सिद्ध होते है 3. एक समय में उत्कृष्ट 20 तीर्थंकर सिद्ध होते है । 4. एक समय में उत्कृष्ट 108 सामान्य केवली सिद्ध होते है । 5. एक समय में उत्कृष्ट 108 स्वयंबुद्ध सिद्ध होते है । 6. एक समय में उत्कृष्ट 10 प्रत्येक बुद्ध सिद्ध होते है । 7. एक समय में उत्कृष्ट 108 बुद्धबोधित सिद्ध होते है । 8. एक समय में उत्कृष्ट 108 स्वलिंग सिद्ध होते है । 9. एक समय में उत्कृष्ट 10 अन्यलिंग सिद्ध होते है । 10. एक समय में उत्कृष्ट 4 गृहस्थलिंग सिद्ध होते है । 11. एक समय में उत्कृष्ट 108 पुरुषलिंग सिद्ध होते है । 12. एक समय में उत्कृष्ट 20 स्त्रीलिंग सिद्ध होते है । 13. एक समय में उत्कृष्ट 10 नपुंसकलिंग सिद्ध होते है । 14. उपरोक्त समस्त प्रकार के कुल मिलाकर एक समय में अधिक से अधिक 108 सिद्ध होते है । प्र. 1546 अवगाहना की अपेक्षा से एक समय में उत्कृष्ट कितने सिद्ध होते है ? उ. उ. 440 जघन्य दो हाथ की कायावाले (वामन संस्थानवाले) एक समय में उत्कृष्ट ++ परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462