Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 456
________________ चार सिद्ध होते है। मध्यम कायावाले एक समय में उत्कृष्ट एक सौ आठ सिद्ध होते है । उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष प्रमाण कायावाले एक समय में उत्कृष्ट दो सिद्ध होते है। प्र.1547 स्वर्ग ( उर्ध्वलोक) में कितने शाश्वत चैत्य व शाश्वत जिन बिम्ब उ. उर्ध्व लोक में 84,97,023 शाश्वत चैत्य व 1,52,94,44,760 जिन बिम्ब है। प्र.1548 तिरछालोक (मनुष्य लोक) में कितने शाश्वत चैत्य व शाश्वत जिन बिम्ब है ? उ. मनुष्य लोक में 3259 शाश्वत चैत्य व 3,91,320 शाश्वत जिन बिम्ब प्र.1549 अधोलोक (भवनपति के आवासस्थान) में शाश्वत चैत्य व शाश्वत जिन बिम्बों की संख्या बताइये ? उ.. अधोलोक में 7,72,00,000 शाश्वत चैत्य व 13,89,60,00,000 जिन बिम्ब है। प्र.1550 प्रथम देवलोक में कितने शाश्वत चैत्य है ? उ. प्रथम देवलोक में 32,00,000 चैत्य है। प्र.1551 देवलोक के प्रत्येक चैत्य में कितने जिन बिम्ब होते है ? उ. 180 जिन बिम्ब होते है। प्र.1552 प्रत्येक देवलोक के चैत्य में 180 जिन बिम्ब कहाँ-कहाँ पर होते ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 441 चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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