Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

View full book text
Previous | Next

Page 457
________________ उ. प्रत्येक देवलोक में पाँच सभाएँ होती है, प्रत्येक सभा के तीन द्वार होते है, अतः कुल (5 x 3) पन्द्रह द्वार होते है। उन प्रत्येक द्वार पर चौमुख जिन बिम्ब होते है । अतः पांच सभाओं में कुल (15 x 4) 60 जिन बिम्ब होते है। प्रत्येक देव लोक का चैत्य तीन द्वारों वाला होता है । प्रत्येक द्वार पर.. चौमुखजी होते है। अतः कुल (3 x 4) 12 जिन बिम्ब होते है । चैत्य गर्भ गृह में 108 जिन बिम्ब होते है। अतः कुल (12 + 108) 120 जिन बिम्ब होते है । सभा में जिन बिम्ब संख्या = 60 चैत्य में जिन बिम्ब = 120 कुल जिन बिम्ब = 180 नौ ग्रैवेयक तथा अनुत्तर विमान में सभाएँ नही होती है, अतः कुल उनमें 120 जिन बिम्ब होते है। प्र.1553 प्रत्येक देवलोक में पांच सभाएं कौन सी होती है ? उ. 1. मज्जन सभा 2. अलंकार सभा 3. सुधर्म सभा 4. सिद्धायतन सभा 5. व्यवसाय सभा । प्र.1554 12 देवलोक, नौ ग्रैवेयक व पांच अनुत्तर विमान में चैत्य, प्रत्येक चैत्य में जिन बिम्ब और कुल जिन बिम्ब की संख्या बताइये ? उ. चैत्य संख्या × जिन बिम्ब संख्या = कुल जिन बिम्ब संख्या । 442 परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 455 456 457 458 459 460 461 462