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पूर्व जन्म में पठित श्रुत का | पूर्व जन्म में पठित श्रुत का नियम नहीं होता है । अर्थात् नियम होता ही है । जघन्य श्रुतज्ञान की भक्ति करते ग्यारह अंग, उत्कृष्ट भिन्न ही है, ऐसा नियम नहीं हैं । दशपूर्व के ज्ञाता होते है ।
| अर्थात् पूर्व जन्म में नियमतः श्रुतज्ञान की भक्ति अवश्यमेव
करते है। 4. | लिङ्ग | साधुवेश को स्वीकार या तो साधुवेश देवता प्रदान
गुरू के समक्ष या स्वयमेव | करते है ।
ही करता है। प्र.1530 क्या प्रत्येक बुद्ध सिद्ध पुरुष, स्त्री और नपुंसक तीनों ही होते है ? उ.- नहीं, प्रत्येक बुद्ध सिद्ध मात्र पुरुष ही होते है, अन्य नहीं ।
ललीत विस्तरा पेज 348 हिन्दी अनु. पू. भूवनभानु सूरिजी म. प्र.1531 स्त्री तीर्थंकर के तीर्थ में सबसे अधिक सिद्ध पुरुष या स्त्री कौन
होते है? उ. 'सिद्धप्राभृत' शास्त्रानुसार सबसे कम स्त्री तीर्थंकर सिद्ध होते है, इनसे
असंख्यातगुणा पुरुष-अतीर्थंकर (अजिन) सिद्ध' 'स्त्रीतीर्थंकर के तीर्थ ..' में होते है और इनसे असंख्यात गुणा 'स्त्री-अतीर्थंकर सिद्ध' स्त्री तीर्थंकर
के तीर्थ में होते है। प्र.1532 'बत्तीसा, अडयाला, सट्ठी. बावत्तरी ·य, बोधव्वा । चुलसीई,
छण्णवई, दुरहिय अद्भुत्तरसयं च ।' से क्या तात्पर्य है ?
बत्तीसा - लगातार आठ समय तक सिद्ध होते रहे तो प्रत्येक समय ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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