Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 451
________________ में उत्कृष्टतः 32-32 सिद्ध हो सकते है। बाद में अंतर अवश्यमेव पड़ता अडयाला - लगातार सात समय तक सिद्ध होते रहे तो प्रत्येक समय । में उत्कृष्टतः 48-48 सिद्ध हो सकते है। बाद में अंतर पडता ही है। . सट्ठी - लगातार छः समय तक, प्रत्येक समय में उत्कृष्टत: 60-60 सिद्ध हो सकते है । बाद में अंतर अवश्य पड़ता है। . बावत्तरी - पांच समय तक लगातार एक समय में उत्कृष्टत: 72-72 सिद्ध हो सकते है, उसके पश्चात् फिर अवश्य अंतर पड़ता है। चुलसीई - चार समय तक लगातार प्रत्येक समय में उत्कृष्टत: 8484 सिद्ध हो सकते है । तत्पश्चात् अवश्यमेव अंतर पड़ता ही है। छण्णवई - तीन समय तक लगातार प्रत्येक समय में उत्कृष्टतः 96- . 96 सिद्ध हो सकते है । फिर अन्तर अवश्यमेव पड़ता है। दुरहिय - लगातार दो समय तक प्रत्येक समय में उत्कृष्टतः 102-102 सिद्ध हो सकते है, इसके पश्चात् अन्तर अवश्य पड़ता है। अठ्ठत्तरसयं - एक समय में उत्कृष्टत: 108 सिद्ध हो सकते है। फिर अवश्य अन्तर पड़ता है । अर्थात् अनन्तर समय में कोई जीव सिद्ध नहीं हो सकता है। प्र.1533 एक समय में मोक्ष जाये तो कौन सी संख्या वाले जा सकते है ? उ. एक समय में जीव मोक्ष जाये तो 103 से लेकर 108 की संख्या में से कोई भी संख्या वाले जा सकते है । तत्पश्चात् अवश्य विरह पड़ता प्र.1534 दो समय तक मोक्ष में जाय तो कौन सी संख्या वाले जा सकते ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 436 परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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