Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 447
________________ है, वे तीर्थ सिद्ध कहलाते है। तीर्थ यानि श्रुत-चारित्र रूपी धर्म, जिसकी प्ररूपणा तीर्थंकर परमात्मा करते है। जैसे-चंदनबाला, मृगावती आदि। प्र.1516 अतीर्थ सिद्ध किसे कहते है ? उ. धर्मतीर्थ की स्थापना से पूर्व या तीर्थ के विच्छेद होने पर अतीर्थावस्था में मुक्त होनेवाले जीव अतीर्थ सिद्ध कहलाते हैं। जैसे-मरूदेवी मातादि । प्र.1517 गृहस्थलिंग सिद्ध किसे कहते है ? उ. - गृहस्थ वेष में रहते हुए जो सिद्ध होते है, वे गृहस्थलिंग सिद्ध कहलाते है । जैसे - भरत चक्रवर्ती, मरूदेवी माता आदि । प्र.1518 अन्यलिंग सिद्ध किसे कहते है ? उ. अन्य वेष अर्थात् जैन श्रमण वेष के अतिरिक्त सन्यासी, जोगी, फकीर, तापस आदि वेष में रहे हुए जीव, जो मोक्ष में जाते है, वह अन्य लिंग सिद्ध कहलाते है । जैसे - वल्कलचिरि आदि । । प्र.1519 स्वलिंग सिद्ध किसे कहते है ? उ. श्री जिनेश्वर परमात्मा ने जो वेष कहा है, उसी शास्त्रोक्त वेष से मोक्ष में जाने वाले जीव, स्वलिंग सिद्ध कहलाते है। जैसे - सुधर्मा स्वामी अतिमुक्तक मुनि आदि। . प्र.1520 स्त्रीलिंग सिद्ध किसे कहते है ? उ. जो स्त्री शरीर से मोक्ष में जाते है, वह स्त्रीलिंग सिद्ध कहलाते है। जैसे - चंदनबाला, मृगावती आदि । प्र.1521 पुरुष लिंग सिद्ध किसे कहते है ? उ. जो पुरुष लिंग से मोक्ष में जाये, वे पुरुषलिंग सिद्ध कहलाते है। जैसे - अरणिक मुनि आदि । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ परिशिष्ट 432 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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