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उ. तीर्थंकर परमात्मा के प्रभाव से ही देवता जिन अतिशयों की रचना करते
है, उन्हें देवकृत अतिशय कहते है । ये 19 होते है । प्र.1442 ऐसा कौनसा एक अतिशय है जो परमात्मा की दीक्षा से निर्वाण
पर्यन्त रहता है ? उ. केश, रोम, दाढ़ी और नख की अवस्थितता अर्थात् दीक्षा के पश्चात्
परमात्मा के केश, रोम, दाढ़ी और नख का नहीं बढ़ना। प्र.1443 दिगम्बर परम्परानुसार तीर्थंकर परमात्मा के सहज अतिशय कितने
और कौन से होते है ? उ. 10 अतिशय होते है - 1. स्वेद रहितता 2. निर्मल शरीरता 3. दूध जैसा
श्वेत रूधिर 4. वज्र ऋषभ नाराच संघयण 5. समचतुरस्र संस्थान 6. अनुपम रूप 7. नृप चंपक पुष्प के समान उत्तम गंध युक्त 8. 1008 उत्तम लक्षण युक्त 9. अनंत बल 10. हित, मित और मधुर ।
जैनेन्द्र सिद्धांत कोश भाग-1, पृ. 141 प्र.1444 परमात्मा के 34 अतिशय कौन-कौन से है ? उ. अन्य जीवों की अपेक्षा अरिहंत परमात्मा में जो विशिष्टताएँ होती है, उन्हें
अतिशय कहते है । उनमें 4. मूल अतिशय, 9 देवकृत अतिशय व 11 कर्मक्षय कृत अतिशय होते है। .. 1. मल, व्याधि और स्वेद रहित तीर्थंकर परमात्मा की देह अलौकिक
रूप, रस, गंध एवं स्पर्शयुक्त होती है। 2. रूधिर व माँस गाय के दूध के समान सफेद और दुर्गन्ध रहित . ___होता है। 3. आहार और निहार चर्मचक्षु द्वारा दिखलाई नहीं देता है (अवधि
ज्ञानी व मनःपर्यवज्ञानी देख सकते है)।
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परिशिष्ट
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