Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 425
________________ होता है ? अविनाभाव सम्बन्ध (व्याप्ति) । दोनों के नियत साहचर्य को व्याप्ति कहते है । प्र. 1447 अन्वय व्याप्ति तीर्थंकर परमात्मा और अष्ट प्रातिहार्य के बीच कैसे घटित होती है ? जैसे “यत्र-यत्र धूमः तत्र-तत्र वह्निः" अर्थात् जहाँ-जहाँ धूम रहता है वहाँ-वहाँ वह्नि (अग्नि) अवश्य रहती है । क्योंकि धूम कभी अग्नि के बिना नही रहता है। वैसे ही जहाँ-जहाँ अष्ट प्रातिहार्य होते है वहाँवहाँ तीर्थंकर परमात्मा अवश्य होते है । क्योंकि अष्ट प्रातिहार्य तीर्थंकर परमात्मा के बिना कभी नहीं रहते है I प्र. 1448 व्यतिरेक व्याप्ति परमात्मा और अष्ट प्रातिहार्य के बीच कैसे घटित उ. उ. प्र. 1449 अरिहंत परमात्मा में कितना बल होता है ? 12 योद्धाओं जितना बल एक बैल में होता है । 10 बैलों जितना बल एक अश्व में होता है । 12 अश्वों जितना बल एक महिष में होता है । 15 महिषों जितना बल एक हाथी में होता है । 500 हाथियों जितना बल एक केशरी सिंह में होता है । उ. होती है ? निषेधात्मक कथन व्यतिरेक कहलाता है। एक के न होने पर दूसरे का न होना, सिद्ध होना । अर्थात् जहाँ-जहाँ तीर्थंकर परमात्मा नहीं होते है वहाँ-वहाँ अष्ट प्रातिहार्य भी नहीं होते है 410 Jain Education International For Personal & Private Use Only परिशिष्ट www.jainelibrary.org

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