________________
प्र. 1482 तीर्थ किसे कहते है ?
उ.
अणुव्रत, महाव्रत, षड्जीव निकाय और भावना का कथन करते है.
इसलिए इन्हें चारित्र धर्म का आदिकर कहते है
I
प्र. 1483 अरिहंत परमात्मा को तीर्थंकर क्यों कहा जाता है ?
उ.
1
उ. तीर्थंकर शब्द तीर्थं उपपद / कृञ् + अप् से बना है । जो धर्म तीर्थ की स्थापना एवं विस्तार करते है, उन्हें तीर्थंकर कहते है | तीर्थ दो प्रकार के होते है - द्रव्य तीर्थ और भाव तीर्थ । द्रव्य तीर्थ से नदियाँ आदि पार की जाती है और भाव तीर्थ से संसार सागर को तैरा (पार) जाता
है । अरिहंत परमात्मा भाव तीर्थ की स्थापना करते है इसलिए उन्हें
1
तीर्थंकर कहते है ।
प्र. 1484 तीर्थ की स्थापना करते समय तीर्थंकर परमात्मा क्या - क्या कार्य.
करते है ?
तीन कार्य - 1. गणधर की स्थापना 2. द्वादशांगी की रचना 3. चतुर्विध संघ की स्थापना
तीर्थ तृथक् से बना है । शब्द - कल्पद्रुम के अनुसार तरत पापादिकं यस्मात् इति तीर्थम् । तीर्यते अनेन इति तीर्थम् ।
जिसके अवलम्बन से जीव संसार सागर को तैर जाए (पार हो जाए) उसे तीर्थ कहते है ।
प्र. 1485 तीर्थंकरों को तीर्थंकर पद कौन प्रदान करते है ?
उ.
उ.
धर्म तीर्थ ।
प्र. 1486 तीर्थंकर की अपेक्षा धर्म तीर्थ महान क्यों है ? प्र.श., श्लोक 67 टीका
धर्म तीर्थ से ही अनंतानंत तीर्थंकर की हार माला उत्पन्न होती है । अर्थात धर्मतीर्थ के आलम्बन से ही तीर्थंकर नामकर्म का बन्ध होता है
1
422
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
परिशिष्ट
www.jainelibrary.org