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4.मान
1. अज्ञान - संशय-विपर्यय और अनध्यवसाय रूप ।
संशय (वस्तु के विषय में सन्देह) ।
विपर्यय (वस्तु का विपरीत ज्ञान) । 2. क्रोध - रोष । 3. मद - जाति, कुल आदि आठ प्रकार का अभिमान ।
आग्रही बनना / अन्य के उचित कथन को स्वीकार
न करना 5. लोभ - लालसा 6. माया - दंभ, कपट 7. रति -
इष्ट-प्रीति 8. अरति - अनिष्ट संयोगजन्य दुःख 9. निद्रा - नींद 10. शोक - चित्त उद्वेग 11. अलीक वचन - असत्य भाषण 12. चोरी - चुराना 13. मत्सर - दूसरों के उत्कर्ष को नहीं सहना 14. भय - . डर 15. हिंसा . .. जीव वध 16. प्रेम - विशेष स्नेह 17. क्रोडा - कुतूहल, खेल-कूद 18. हास्य - हंसी-मजाक
लो.प्र.स..30 गाथा-1002-1005, सप्ततिशतस्थानक ग्रंथ, प्र. सा.द्वार 4, गा. 451-452 ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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