Book Title: Chaityavandan Bhashya Prashnottari
Author(s): Vignanjanashreeji
Publisher: Jinkantisagarsuri Smarak Trust

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Page 412
________________ की चिता देवता गण निर्मित करते है ? गणधर भगवंत के लिए दक्षिण दिशा में त्रिकोणी (त्रिभुजाकार) चिता और साधु भगवंत हेतु पश्चिम दिशा में चौखुनी ( वर्गाकार) चिता का निर्माण देवता करते है । लो. प्र. स. 30 गा. 1033-1034 1.1427 गणधर और मुनि भगवंतों के पार्थिव शरीर को शिबिका और चिता में कौन पधराते है । इन्द्र के सिवाय अन्य देवतागण पधराते है 1.1428 जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति की वृत्ति के अनुसार अरिहंत परमात्मा के अलावा देवता गण और किसकी अस्थियों को ग्रहण करते है ? योगधारी चक्रवर्ती की अस्थियों को देवता ग्रहण करते है । 1.1429 जिनेश्वर ( तीर्थंकर) परमात्मा की दायीं ओर के ऊपर और नीचे की दाढ़ाएं कौनसे देवता और क्यों ग्रहण करते है ? दायीं ओर के ऊपर की दाढ़ाएँ शक्रन्द्र और नीचे की चमरेन्द्र ग्रहण • करते है, क्योंकि ये दोनों ही इन्द्र दक्षिण दिशा के स्वामी होते है । 1430 बायीं ओर के ऊपर व नीचे की दाढ़ाएँ कौनसे देव ग्रहण करते ? बायीं ओर के ऊपर की दाढ़ाएँ ईशानेन्द्र और नीचे की बलींद्र ग्रहण - करते है । लो. प्र. स. 30 गा. 1047 1431 परमात्मा की दाढ़ाओं को शक्रेन्द्र आदि देव कहाँ पधराते है ? उ. सुधर्मा सभा के चैत्य स्तंभ में लटकते रत्न जड़ित, डब्बियों में परमात्मा की दाढ़ाओं को पधराते हैं और उन्हें परमात्मा समझते हुए निरंतर उनकी आराधना करते है । परमात्मा की आशातना न हो इस अपेक्षा से उस चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only 397 www.jainelibrary.org

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