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बात पूर्वोक्त ( 32 धनुष) प्रमाण से कैसे संगत है समझाइये ? उ. आवश्यक चूणि में जो ऊँचाई बताई गयी है वह मात्र अशोक वृक्ष की है,
किन्तु यहाँ बताई गई ऊँचाई शाल वृक्ष सहित अशोक वृक्ष की है । मात्र अशोक वृक्ष की ऊँचाई तो यहाँ भी परमात्मा महावीर के देह से 12 गुणा अधिक है। परमात्मा महावीर का देहमान 7 हाथ है और उसे 12 से गुणा . करने पर 21 धनुष होते है, उसमें 11 धनुष प्रमाण शाल वृक्ष की ऊँचाई . मिलाने से अशोक वृक्ष की ऊँचाई 32 धनुष होती है। अशोक वृक्ष ऊपर शाल वृक्ष के अस्तित्व की प्रमाणिकता समावायांग सूत्र की निम्न पंक्तियों से होती है - "बतीस धणुयाई चेइय रुक्खो उ वद्धमाणस्स । निच्चोउगो असोगो उच्छन्नो सालरुक्खेणं ॥" अर्थात् परमात्मा महावीर के समवसरण में अशोक वृक्ष की ऊँचाई 32 धनुष है। सभी ऋतुओं में पुष्प फलादि की समृद्धि से सदाबाहर रहने वाला
अशोक वृक्ष शालवृक्ष से उन्नत है। प्र.469 जानु-प्रमाण पुष्पों से भरे हुए समवसरण में जयणा पालक साधुओं
का अवस्थान व गमनागमन कैसे हो सकता है ? क्योंकि इसमें
साक्षात् जीव हिंसा है ? उ. कुछ मतावलम्बियों के अनुसार समवसरण में बरसाये गये फूल देवता के
द्वारा विकुर्वित होने से अचित्त है । अत: उन पर गमनागमन करने वाले साधुओं को जीव हिंसा का दोष नही लगता, यह प्रत्युक्त युक्त प्रतीत नहीं होता है । कारण समवसरण में मात्र विकुर्वित पुष्प ही नहीं होते, बल्कि
जल-थल में उत्पन्न होने वाले पुष्प भी होते है । आगम में कहा है - ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
पंचम अवस्था त्रिक
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