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4. अनुप्रेक्षा-कायोत्सर्ग में अवस्थित व्यक्ति अनुप्रेक्षा या भावना का
स्थिरता पूर्वक अभ्यास करता है।
5. ध्यान- कायोत्सर्ग से शुभध्यान का सहज अभ्यास हो जाता है। प्र.1231 स्वास्थ्य की दृष्टि से कायोत्सर्ग का क्या महत्व है ? उ. कायोत्सर्ग से शारीरिक चंचलता के साथ शारीरिक ममत्व का विसर्जन
होता है, जिससे शरीर व मन तनाव मुक्त होते है। . शरीर शास्त्रियों के अनुसार - 1. आवेश, उत्तेजना से शरीर में पूर्व बना एसिड कायोत्सर्ग द्वारा पुनः शर्करा में परिवर्तित हो जाता है। 2. लेक्टिक एसिड का स्नायु पर जमाव न्यून हो जाता है। 3.लेक्टिक एसिड की न्यूनता से शारीरिक उष्णता न्यून होती है। 4. स्नायु तंत्र में अभिनव ताजगी आती है। ..
5. रक्त में प्राण वायु की मात्रा बढ जाती है। प्र.1232 कायोत्सर्ग मुख्य रुप से किस प्रयोजन (हेतु) से किया जाता है ? उ. मुख्य रुप से क्रोध, मान, माया और लोभ के उपशमन हेतु कायोत्सर्ग किया जाता है।
कायोत्सर्ग शतक गाथा 8 अमंगल, विघ्न और बाधा के परिहार हेतु भी कायोत्सर्ग किया जाता है। प्र.1233 कायोत्सर्ग में कितने दोष लगने की संभावना रहती है, नाम
बताइये? उ. कायोत्सर्ग में निम्न 19 दोष लगने की संभावना रहती है -
1. घोटक दोष 2. लता दोष 3. स्तम्भादि (स्तम्भ कुड्य) दोष 4. माल
दोष 5. उद्धि दोष 6. निगड दोष 7. शबरी दोष 8 खलिण दोष 9. ..
.. बीसवाँ कायोत्सर्ग द्वार
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