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चौबीसवाँ आशातना द्वार प्र.1302 आशातना किसे कहते है ?
आयः - सम्यग्दर्शनाद्यवाप्ति लक्षणस्तस्य शातना खण्डनं निरुक्तादाशातना। पू. आ. श्री अभयदेव सूरिजी श्री समवायांग टीका 'आसातणाणामं नाणादिआयस्स सातणा । यकारलोपं कृत्वा आशातना भवति ।'
आ.जिनदास आवश्यक चूर्णि । आयः - सम्यग्दर्शनादि आध्यात्मिक गुणों की प्राप्ति को 'आय' कहते
शातना - खण्डन । देव-गुरू, शास्त्र आदि का अपमान करने से आत्मकल्याणकारी, आत्महितकारी सम्पति के अमोघकारण सम्यग्दर्शनादि
सद्गुणों का नाश करने वाली आशातना कहलाती है। , प्र.1303 आशातनाएं कितने प्रकार की होती है ? .उ. आशातनाएं तीन प्रकार की होती है- 1. जघन्य 2. मध्यम 3. उत्कृष्ट । प्र.1304 जिनमंदिः की जघन्य आशातनाएं कितनी होती है, नाम लिखे ? उ... जिनमंदिर की जघन्य 10 आशातनाएं होती है।
1. तम्बोल - पान, मुखवास आदि मंदिर में खाना । 2. पान - जलादि पेय पदार्थों को जिनमंदिर में पीना । 3. भोजन - आहार करना । 4. उपानह - जिनमंदिर में जुते पहनना । 5.मैथुन - संसार के भोग विलास करना (स्त्री सेवन करना) । 6.शयन - मंदिर में सोना ।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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