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11. स्तन दोष - मच्छर अथवा लज्जादि के कारण हृदय भाग को ढ़ककर
रखना । 12. संयती दोष - शीतादि के कारण अपने स्कन्धों को आच्छादित करके
कायोत्सर्ग करना। 13. भ्रमितांगुली दोष - नवकारादि गिनने हेतु अंगुलियों के पोरवों पर
अपना अंगुष्ठ तेजी से फिराना, किसी अन्य कार्य का सूचन करने हेतु
भृकुटि से इशारा करना अथवा यूँ ही भौंहें नचाना । 14. वायस दोष - कायोत्सर्ग में कौए की तरह इधर-उधर देखना । 15. कपित्थ दोष - वस्त्र गंदे न हो जाए इस कारण वस्त्रों को उठा
उठाकर रखना। 16. शिरकंप दोष - यक्ष, भूतादि से आविष्ट व्यक्ति की तरह सिर ___धूनना/ हिलाना। 17. मूक दोष - गूंगे व्यक्ति की तरह हुं-हुं करना । 18. मदिरा दोष - शराबी व्यक्ति की तरह बडबडाहट करना । 19. प्रेक्ष्य दोष - बंदर की तरह इधर-उधर देखना, ओष्ट हिलाना, हाथ
पाँव हिलाना । प्र.1235 साध्वीजी म. को उपरोक्त 19 दोषों में से कौनसे दोष नही लगते
है, और क्यों ? साध्वीजी म. को उपरोक्त 19 दोषों में से लम्बुत्तर, स्तन व संयती नामक तीन दोष नही लगते है, क्योंकि प्रतिक्रमण के समय सिर के अलावा
संपूर्ण शरीर ढका रहता है। प्र.1236 श्राविका को 19 दोषों में से कौनसे दोष नही लगते है और क्यों ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 328
बीसवाँ कायोत्सर्ग द्वार
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