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उ. 1. लम्बित दोष - शिर नीचा करके खड़े होना, लम्बित दोष है ।
2. उत्तरित दोष - शिर ऊपर करके खड़े होना, उत्तरित दोष है। 3. स्तनोन्नति दोष - बालक को दूध पिलाने को उद्यत स्त्रीवत्
वक्षःस्थल के स्तनभाग को ऊपर उठाकर खड़े होना, स्तनोन्नति दोष
4. स्तन दोष - अधरोष्ठ लम्बा करके खड़े होना या स्तन की ओर दृष्टि ___करके खड़ा होना। 5. खलीनित दोष - लगाम से पीड़ित घोडेवत् मुख को हिलाते हुए
खडे होना। 6. युगकन्धर दोष - जैसे बैल अपने कन्धे से जूये की मान नीचे करता
है वैसे ही कन्धे झुकाते हुए खड़ा होना, युगकन्धर दोष है। 7. ग्रीवोनयन दोष - ग्रीवा को ऊपर उठाना । 8. ग्रीवाधोनयन (ग्रीवावनमन) दोष - ग्रीवा को नीचे की तरफ
झुकाना। 9. निष्ठीवन दोष - कायोत्सर्ग में थूकना आदि । . 10. अंग स्पर्श (वपुः स्पर्श दोष) - शरीर को इधर-उधर अनावश्यक
स्पर्श करना। 11. हीन / न्यून दोष - कायोत्सर्ग के योग्य प्रमाण से कम काल तक
कायोत्सर्ग करना हीन / न्यून दोष है । 12. दिगवलोकन दोष - आठों दिशाओं की तरफ देखना, दिगवलोकन ... दोष है। 13. मायाप्रायास्थिति दोष - लोगों को दिखाने हेतु लम्बी अवधि तक
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बीसवा कायोत्सर्ग द्वार
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